September 1, 2025
Close-up of crime scene tape with 'Do Not Cross' text, outdoors setting.

भारत को लेकर अमेरिका की हालिया यात्रा एडवाइजरी ने एक बार फिर हमें आईना दिखा दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए अपने नागरिकों, खासकर महिला पर्यटकों से कहा है कि वे अकेले यात्रा न करें। यह सलाह न केवल भारत की वैश्विक छवि पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि हमारे समाज के उस सड़े-गले ढांचे को भी बेनकाब करती है, जिसे सुधारने के बजाय हम झूठी शान में ढंकने की कोशिश करते हैं।

यह कहना कि यह एडवाइजरी शर्मनाक है, पर्याप्त नहीं होगा। असल में शर्म हमारे उन तंत्रों को होनी चाहिए जो महिलाओं को सुरक्षा देने में विफल रहे हैं। आए दिन अखबारों की सुर्खियां बलात्कार, छेड़खानी और महिला उत्पीड़न की घटनाओं से भरी रहती हैं। हर बार दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की बात होती है, लेकिन फाइलों में सड़ते केस और अदालतों में लटके मुकदमे यही बताते हैं कि हमारे सिस्टम की संवेदनशीलता सिर्फ भाषणों और घोषणाओं तक सीमित है।

अमेरिका की यह एडवाइजरी उस सच्चाई की ओर इशारा करती है जिससे हम मुंह फेरना चाहते हैं। हम गर्व से देवी-पूजा करने और नवरात्रि में कन्याओं के पूजन का ढोंग करते हैं, लेकिन वही समाज महिलाओं को सार्वजनिक स्थलों पर घूरने और उनके अधिकार छीनने में संकोच नहीं करता। क्या यही हमारी सभ्यता है? क्या यही हमारी संस्कृति का असली चेहरा है?

यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी विदेशी सरकार ने भारत की महिला सुरक्षा पर चिंता जाहिर की हो। लेकिन सवाल यह है कि हम कब जागेंगे? क्या हम तब जागेंगे जब हमारे पर्यटन उद्योग को नुकसान होगा? जब विदेशी मुद्रा आना बंद हो जाएगी? या तब जब हमारी बेटियां खुद को घर से बाहर असुरक्षित महसूस करेंगी?

अगर सच में हम इस कलंक से छुटकारा पाना चाहते हैं तो हमें नीतियों में बदलाव लाने की जरूरत है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई हो। कानून का डर अपराधियों के चेहरे पर दिखे। वरना अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया हमें इसी नजर से देखेगी और हम केवल प्रतिक्रियाओं में सफाई देते रह जाएंगे।

आज समय आ गया है कि हम अपने घर को, अपने समाज को भीतर से मजबूत बनाएं ताकि कोई बाहरी हमें हमारी कमियां गिनाने की हिम्मत न करे। अगर हम सच में अपनी बेटियों की रक्षा करना चाहते हैं, तो अब सिर्फ नारेबाजी नहीं, ठोस कदम उठाने होंगे।

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