
लखनऊ, 10 जून 2025:
“जब देश पुकारे, तो उड़ान ज़मीन से शुरू होती है, लेकिन रुकती नहीं… वो आसमान पार कर जाती है।”
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की कहानी कुछ ऐसी ही है — एक छोटे शहर से उठकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुँचने वाले पहले भारतीय बनने की दहलीज़ पर खड़े हैं।
🇮🇳 लखनऊ की मिट्टी में पले, भारत के लिए उड़ान भरी
10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे शुभांशु बचपन से ही सपनों को ऊँचा उड़ाने का माद्दा रखते थे। 1999 में जब देश कारगिल युद्ध के ज्वाला में तप रहा था, तब इस बालक के भीतर देश के लिए कुछ कर गुजरने की आग लगी — और यहीं से शुरू हुआ उनके ‘आसमान छूने’ का सफर।
🛫 NDA से उड़ान, वायुसेना में कमान
शुभांशु ने UPSC के NDA एग्जाम को क्लियर कर 2005 में नेशनल डिफेंस एकेडमी से ग्रेजुएशन पूरा किया।
2006 में वह भारतीय वायुसेना के फाइटर स्ट्रीम में कमीशंड हुए और आज तक Su-30 MKI, MiG-29 जैसे अत्याधुनिक फाइटर विमानों पर 2,000 से अधिक फ्लाइंग ऑवर्स का अनुभव जमा चुके हैं।
👨🚀 गगनयान से अंतरिक्ष तक
2019 में शुभांशु को भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित किया गया। उन्होंने रूस और भारत में कठोर प्रशिक्षण लिया — शून्य गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष सिमुलेशन, और जीवन के हर उस पहलू का अभ्यास जो अंतरिक्ष में ज़रूरी होता है।
🌌 2025 में ऐतिहासिक उड़ान
अब साल 2025 में, शुभांशु Axiom Mission 4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे।
यह मिशन उन्हें ISS पर पहुँचने वाले पहले भारतीय नागरिक का दर्जा देगा — और देश को गर्व से सिर ऊँचा करने का मौका।
✨ निष्कर्ष — एक खामोश वीरता की उड़ान
शुभांशु शुक्ला का नाम किसी राजनीतिक नारे में नहीं गूंजता, लेकिन उनकी उड़ान उन हर भारतीय युवाओं को एक रास्ता दिखाती है, जो देश के लिए जीना और उड़ना चाहते हैं। कमल खान की शैली में कहें तो —
“किसी ने ख़बरों में नहीं देखा, लेकिन एक बेटा silently आसमान की लकीर पर भारत का नाम लिख रहा है।”