December 10, 2025
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पुराने लखनऊ के अकबरी गेट की ढलान पर, जहाँ रात की ख़ामोशी में भी ज़िंदगी की आहट सुनाई देती है — वहीं दशकों से कारोबार कर रही YAHYA JEWELLERS की दुकान पर बीती रात अज्ञात असामाजिक तत्वों ने डकैती की साज़िश रची। यह इलाका जहाँ दुकानों के शटर देर रात तक उठे रहते हैं और लोग इत्र, कबाब और तहज़ीब की खुशबू में जीते हैं — वहाँ इस तरह की वारदात ने अमन व क़ानून पर बड़े सवाल छोड़ दिए हैं।


दुकान के ताले टूटे मिले, सुरक्षा प्रणाली के तार काटे गए और बदमाशों ने स्पष्ट रूप से अधिकतम क्षति पहुंचाने की कोशिश की। मामला उस लिखित शिकायत का है जिसकी जानकारी मालिक मोहम्मद याह्या ने 15 दिन पहले स्थानीय थाना को दी थी; शिकायत में मोहम्मद शाहिद का नाम था, जिसने खुलेआम दुकान के ऊपरी हिस्से में अपना होटल खोलने की मांग करते हुए धमकी दी थी।


हादसा कहाँ और कैसे हुआ — घटनास्थल की तस्वीर

अकबरी गेट की ढलान पर स्थित चौक का वह मोड़, जिसे स्थानीय लोग रात में भी रौनक वाला इलाका मानते हैं, गुरुवार-शाम के बाद अचानक सनसान हो गया। जब दुकान के कर्मचारियों व मालिक सुबह दुकान पर पहुंचे, तो उन्हें ताले टूटे हुए मिले। दुकान की बाहरी दीवार व छज्जे पर तोड़फोड़ साफ़ झलक रही थी। सबसे चिंताजनक बात यह कि CCTV कैमरों और वाई-फाई राउटर के तार कटे हुए पाए गए — यह बताता है कि बदमाशों ने पहले सुरक्षा व्यवस्था को निष्क्रिय करने की साजिश रची थी ताकि उनकी पहचान दर्ज न हो।

लोगों का कहना है कि जिस इलाके में लोग रात भर आना-जाना करते हैं, वहां इस तरह की बेखौफ हरकत कुछ कमतर नहीं बल्कि सुनियोजित गुंडागर्दी की ही निशानी है।

धमकी पहले से दर्ज — क्या नज़रअंदाज़ किया गया?

दुकानदार मोहम्मद याह्या ने पुलिस को 15 दिन पहले ही लिखित में शिकायत दी थी। याह्या का आरोप है कि पास के ‘शाहिद बिरयानी’ के संचालक मोहम्मद शाहिद ने उन पर दबाव बनाया था|

शाहिद की दुकान याहया ज्वेलर्स के ठीक पास है और वह अब दुकान के ऊपरी हिस्से में अपना होटल बढ़ाना चाहता था। याहया बताते हैं कि शाहिद ने साफ कहा था —

“छज्जा हटाओ वरना मैं तोड़ दूंगा। पुलिस भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी, और अगर ज्यादा बोले तो जान से हाथ धो बैठोगे।

याह्या ने बताया — “मैंने डरकर नहीं, समझदारी से पुलिस को सूचित किया था। लिखित शिकायत सबूत के साथ दी गई थी। आज वही बयान जिस पर मैंने भरोसा किया, टूटे ताले और कटे तार के रूप में सामने है।”

क्या यह डकैती थी या सूचित गुंडागर्दी?

स्थानीय व्यापारियों व रहवासियों की आवाज़ में गहरा रोष है। वे इसे साधारण चोरी नहीं, बल्कि डकैती की साज़िश और खुलेआम गुंडागर्दी का संकेत मान रहे हैं — क्योंकि आरोपी ने पहले धमकी दी थी, सुरक्षा तंत्र को निशाना बनाया गया और जगह का भौगोलिक महत्व (रातभर सक्रिय इलाका) होने के बावजूद कोई रोक-टोक नहीं हुई।

एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “यह सिर्फ याह्या की दुकान का मामला नहीं है; अगर चौक में इतने बेखौफ बदमाश घूम रहे हैं तो हर छोटा-बड़ा व्यापारी असुरक्षित महसूस करेगा। यहाँ तो कानून-व्यवस्था की हदें टूटती दिख रही हैं।”

पुलिस की कार्यवाही — पर भरोसा टूटा

जुबानी आश्वासन और पहले से दर्ज शिकायत के बावजूद 15 दिन बाद वारदात का होना लोगों के मन में यही प्रश्न छोड़ गया है — क्या पहले कदम उठाए जाते तो आज दुकानदार को अपनी जान का डर होता?

सामाजिक व प्रशासनिक निहितार्थ

  • व्यापारियों का भय: चौक जैसे व्यस्त-रात्रिकालीन इलाके में यह घटना व्यापारिक गतिविधि और सार्वजनिक सुरक्षा दोनों के लिए खतरे की घंटी है।
  • प्रिसिजन साजिश: CCTV व वाई-फाई के तार काटने का अर्थ है कि अपराधियों को तकनीकी अड़चन का भी अंदेशा था — यह मुक्त फायरिंग नहीं, योजनाबद्ध अंजाम देने का प्रयास था।
  • प्रशासन पर सवाल: ऐसे मामलों में त्वरित गिरफ्तारी और सुरक्षा न देने का आरोप प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है; लिखित शिकायतों का असरदार पालन अनिवार्य है।

क्या होना चाहिए: सुझाव

एक परिपक्व और जवाबदेह प्रशासन के लिए कुछ कदम तत्काल अनिवार्य हैं —

  1. पीड़ित को तत्काल सुरक्षा (निजी/पुलिस गार्ड, नियमित पेट्रोलिंग) मुहैया कराना।
  2. इलाके के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों के CCTV की हालत की तत्काल जांच व आवश्यक होने पर अपग्रेडेशन।
  3. जो शिकायतें दर्ज हैं, उनकी फास्ट-ट्रैक जांच और प्राथमिकी के अनुरूप सख्त धाराओं में मामला चलाना।
  4. चौक जैसे संवेदनशील इलाकों में नियमित रात्री गश्त और सार्वजनिक शिकायत निवारण तंत्र को सक्रिय करना।

अकबरी गेट की ढलान पर बसे चौक की यह रात सिर्फ याह्या ज्वेलर्स का मामला नहीं है; यह उस भरोसे का मामला है जो व्यापारी, ग्राहक और प्रशासन के बीच बनता है। दशकों से उसी जगह कारोबार कर रहे मोहम्मद याह्या की दुकान पर हुई यह सुनियोजित कोशिश बताती है कि जहाँ गुंडागर्दी खुलकर अंजाम देने की हिम्मत कर सकती है, वहाँ कानून-व्यवस्था के दावों का साक्ष्य कमजोर पड़ता है।

पुलिस ने जांच तेज करने का दावा किया है — अब यह देखने की बात होगी कि दावे सिर्फ बयानों तक सीमित रहेंगे या चौक-वासी व याह्या जैसे व्यापारियों को वाजिब सुरक्षा और त्वरित न्याय मिलने में प्रशासन सक्षम होगा।

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