
लखनऊ (उत्तर प्रदेश): ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में एक महिला द्वारा लगाए गए रेप के संगीन आरोप के बाद पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में पीड़िता थाने में बिलखती हुई नज़र आ रही है और बार-बार कहती है कि उसने हिम्मत कर के रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस अब मुल्ज़िम का साथ दे रही है।
वीडियो में महिला को फूट-फूट कर रोते और बार-बार यह कहते सुना जा सकता है – “मैं चुप नहीं बैठी, मैंने इंसाफ़ की लड़ाई लड़ी है। मगर मुझे मेरी ही पुलिस से कोई मदद नहीं मिल रही।” पीड़िता का आरोप है कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है और उसे हर बार टालने की नीति अपनाई गई।
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🔍 क्या है मामला?
पीड़िता के अनुसार, ठाकुरगंज क्षेत्र के एक व्यक्ति ने उसके साथ रेप किया, जिसकी शिकायत उसने वक़्त रहते पुलिस को दी थी। लेकिन अब तक आरोपी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। महिला का दावा है कि एफआईआर दर्ज होने के बावजूद थाना स्तर पर दबाव बना कर केस को कमजोर किया जा रहा है।
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🧕 पीड़िता की आवाज़: “मैं चुप नहीं बैठूँगी, मैं गवाह हूँ”
वीडियो में पीड़िता यह कहते हुए भी नज़र आती है –
“मैंने देखा है सब कुछ… मैं चुप नहीं बैठूँगी… अगर पुलिस मेरा मुहाफ़िज़ नहीं बन सकती, तो मैं खुद अपनी हिफ़ाज़त करूंगी।”
इन अल्फ़ाज़ से उसकी मज़बूती और मायूसी दोनों झलकती हैं – जहाँ एक तरफ़ वो अपनी लड़ाई जारी रखने को तैयार है, वहीं दूसरी ओर उसे न्याय प्रणाली से भरोसा उठता हुआ महसूस होता है।
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🛑 पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
इस वायरल वीडियो ने एक बार फिर पुलिस के रवैये पर उंगली उठाई है। सवाल यह है कि जब कोई महिला ख़ुद सामने आकर शिकायत दर्ज कराती है, तो भी क्या उसे इंसाफ़ के लिए यूं दर-दर भटकना पड़ेगा?
सोशल मीडिया पर आम जनता में नाराज़गी है। कई लोगों ने कमेंट्स में लिखा –
“जब पुलिस ही सुनवाई न करे, तो इंसाफ़ की उम्मीद किससे की जाए?”
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📣 सिविल सोसायटी और महिला आयोग से दख़ल की मांग
लोगों ने महिला आयोग, मानवाधिकार संगठनों और प्रशासन से अपील की है कि वह इस केस में तुरंत दख़ल दें और पीड़िता को सुरक्षा और न्याय दोनों मुहैया कराया जाए।
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🔖 निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ़ एक महिला की आवाज़ नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का आइना है।
जब कोई महिला डर को छोड़कर इंसाफ़ की लड़ाई लड़ने खड़ी होती है, तो सिस्टम को भी चाहिए कि बिना भेदभाव न्याय करे।
👉 प्रशासन से माँग है कि इस मामले में तेज़, निष्पक्ष और सख़्त कार्रवाई की जाए, ताकि पीड़िता को इंसाफ़ मिल सके और दोषी को उसकी सज़ा।