
मुख्तेश तन्मय और अनंत चौरसिया ने हासिल की ऑल इंडिया टॉप रैंक, कई छात्रों ने टॉप 1000 में बनाई जगह
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET-UG) 2025 में लखनऊ के होनहार छात्रों ने एक बार फिर शैक्षणिक उत्कृष्टता का परचम लहराया है। शहर के मुख्तेश तन्मय और अनंत चौरसिया ने क्रमशः ऑल इंडिया रैंक 36 और 44 प्राप्त कर देश भर के 23 लाख से अधिक प्रतिभागियों में अपनी खास जगह बनाई है।
टॉप 1000 में छह लखनऊवासी छात्र
इनके अलावा शहर के अन्य छात्र — अद्विता (AIR 325), यशमित गर्ग (AIR 805), सानिष्का श्रीवर्त (AIR 815) और शेखर मिश्रा (AIR 882) — भी टॉप 1000 में स्थान पाकर लखनऊ को एक बार फिर “शिक्षा का हब” साबित कर रहे हैं।
AIIMS दिल्ली को लक्ष्य बना रहे मुख्तेश
मुख्तेश तन्मय, जिन्होंने 661 अंक के साथ AIR 36 प्राप्त की, केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य संजय कुमार के पुत्र हैं। उन्होंने बताया, “टारगेटेड प्लानिंग और एरर एनालिसिस मेरी तैयारी का गेमचेंजर रहा। पिछले वर्षों के पेपर हल कर के और गलतियों का विश्लेषण कर के मैंने फालतू गलतियों से बचा। डायरग्राम और चार्ट्स को अच्छे से समझना मेरी स्ट्रैटजी का हिस्सा था।”
तनाव को कैसे संभाला, इस पर मुख्तेश कहते हैं, “अपने फोकस का समय समझो और ओवरडू मत करो। मैं ब्रेक लेकर यूट्यूब पर मीम रिव्यू देखकर खुद को रिफ्रेश करता था।”
अनंत को बहन से मिली प्रेरणा
656 अंकों के साथ AIR 44 पाने वाले अनंत चौरसिया ने अपनी डॉक्टर बहन को प्रेरणा स्रोत बताया। “NCERT की किताबें, क्लास नोट्स और निरंतर रिवीजन मेरी तैयारी का आधार रहे। पुराने पेपर्स को नियमित हल करता था। दबाव के बिना एक डेली रूटीन बनाकर चलता रहा। ब्रेक के दौरान क्रिकेट देखना मुझे रीलैक्स करता था,” उन्होंने बताया।
आयुष गौतम ने 2 साल शाक्तिनगर में रहकर की तैयारी
कानपुर निवासी आयुष गौतम ने NEET में AIR 53 हासिल किया। उन्होंने लखनऊ के शाक्तिनगर में दो वर्षों तक रहकर तैयारी की। “सोशल मीडिया से दूर रहना सफलता की कुंजी है। इंटरनेट पर सामग्री बहुत है, लेकिन सिर्फ कोर्स से संबंधित कंटेंट पर ध्यान देना चाहिए। नियमित प्रैक्टिस और रिवीजन जरूरी है,” उन्होंने कहा। उनके भाई विशाल गौतम IIT मद्रास में M.Tech कर रहे हैं और बहन GSVM मेडिकल कॉलेज से पीजी।
अद्विता: डॉक्टर माता-पिता की बेटी, पर निर्णय खुद का
गोपीनगर निवासी अद्विता ने AIR 325 हासिल की। उन्होंने कहा, “माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं, लेकिन उन्होंने कभी मुझ पर दबाव नहीं डाला। खुद ही निर्णय लिया। मैं रोज़ 5-6 घंटे ईमानदारी से पढ़ाई करती थी। NCERT की किताबें और पुराने पेपर्स ही काफी थे। सोशल मीडिया से दूर रही, बस यूट्यूब पर कभी-कभी क्रिकेट या डॉग वीडियोज देखती थी।”
यशमित: मेडिकल परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने की तैयारी
जनकिपुरम निवासी यशमित गर्ग (AIR 805) के परिवार में सभी — माता-पिता, बहन और दादा — डॉक्टर हैं। “लोगों को लगा मैं दबाव में मेडिकल चुन रहा हूं, लेकिन ऐसा नहीं था। मैंने खुद की इच्छा से चुना। खेल-कूद और जिम से खुद को तनावमुक्त रखा। अब KGMU में दाखिला लेकर फैमिली लेगसी को आगे बढ़ाना चाहता हूं,” उन्होंने कहा।
सफलता का मूल मंत्र: अनुशासित दिनचर्या और निरंतर अभ्यास
अधिकांश छात्रों ने अपनी सफलता का श्रेय समयबद्ध अध्ययन, स्पष्ट अवधारणाओं और निरंतर पुनरावृत्ति को दिया। इस वर्ष NEET UG अब तक की सबसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा रही, जिसमें लाखों छात्र सीमित सीटों के लिए संघर्ष कर रहे थे।
(स्रोत: अंजनेया सिंह के इनपुट्स के साथ)