
मध्य-पूर्व में हालिया इजराइल–ईरान युद्ध, जो लगभग 12 दिनों तक चला, दुनिया को तिलमिला देने वाली स्थिति थी। इस दौरान कई स्तरों पर संघर्ष हुआ—इजराइल द्वारा ईरानी कक्षीय सुविधाओं पर हमले, ईरान की ओर से अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल हमले, और अमेरिका की मध्यस्थता की तमाम कोशिशें। लेकिन अचानक, सब कुछ ठंडा हो गया—कहां दूर से—कतर की त्वरित पहल ने उस घने अंधेरे को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई।
- संघर्ष का आरम्भ और तनाव का विस्तार
यह जंग गिरा शुक्रवार, 13 जून को, जब इजराइल ने इरानी परमाणु संयंत्रों पर हवाई हमलों की शुरुआत की, जिसमें फोर्डो, नातांज़, और इस्फ़हान शामिल थे। अमेरिकी B‑2 बमवर्षकों ने भी इजरानी नाभिकीय स्थलों पर मजबूत झटका दिया ।
इजराइल ने अपने हमले को आक्रामक निरोध बताया, लेकिन इराक ने इसे आतंकवाद बताया और यह स्पष्ट था कि इसमें स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत जोखिम निहित हैं।
इन हमलों के बाद ईरान ने ‘Operation Glad Tidings of Victory’ के तहत अमेरिका और इजराइल को जवाबी हमलों में शामिल किया।
- ईरान का जवाब और अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें
23 जून को ईरान ने अपने पास मौजूद मिसाइलों में से 6 मिसाइलें कतर के अल उदीद एयरबेस पर फायर कीं; हालांकि कतर और अमेरिका दोनों ने बताया कि अधिकांश मिसाइलें विफल रहीं और कोई मानव/सामग्री क्षति नहीं हुई en.wikipedia.org।
ईरान ने हमले से पहले अलर्ट भेजा था ताकि कोई और नुकसान न हो—एक रणनीतिक संकेत कि वे सिर्फ़ शक्तिमाप क्रिया का प्रयोग कर रहे हैं, पारंपरिक युद्ध का नहीं ।
इस हमले का नामकरण “Operation Annunciation of Victory” रखा गया और इसका उद्देश्य स्पष्ट था—जवाब देना लेकिन वैश्विक तेल बाजार या उससे जुड़े ट्रैफिक को बाधित न करना।
- ट्रंप की पहल और कतर की निर्णायक भूमिका
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 जून को Truth Social पर लिखा: “पूर्ण और समग्र सीजफायर इजराइल और ईरान के बीच लागू होगा”—एक स्पष्ट घोषणा जिन्होंने अलटीमेटम और चरणबद्ध शर्तों के साथ दी ।
ट्रंप ने यह भी बताया कि उन्होंने खुद इजराइल के नेते और कतर के अमीर को फोन किया था, और ईरान की प्रतिक्रिया पर भी ध्यान लगाया ताकि “शांति कायम की जा सके” ।
एक रॉयटर्स रिपोर्ट के अनुसार, कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने ईरानी अधिकारियों के साथ वार्ता की और अमेरिका द्वारा प्रस्तावित सीजफायर के लिए उनकी मंजूरी दिलवाई ।
लिवमिंट की रिपोर्ट कहती है कि ट्रंप ने अपने कॉल में कतर से कहा कि इजराइल पहले ही सीजफायर पर मान गया है, अब ईरान को राजी करना है—और कतर ने सिर्फ घंटों में यह काम कर दिखाया ।
ये संकेत करते हैं कि कतर की सॉफ्ट शक्ति और मध्यस्थता क्षमता मानी जाती है, खासकर इज़राइल–हमास और अमेरिका–ईरान विवादों में ।
- चरणबद्ध सीजफायर और विवादास्पद प्रतिक्रियाएं
ट्रंप ने चरणबद्ध योजना बताई—पहले ईरान 6 घंटे के भीतर हमला बंद करेगा, फिर अगले 12 घंटे में इजराइल, और अंत में 24 घंटे में पूर्ण युद्ध विराम लागू होगा ।
हालांकि इजरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने साफ कहा: “अब तक कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ—लेकिन अगर इजराइल ने अपने हमले बंद कर दिए तो हम भी बंद कर देंगे, सुबह 4 बजे तक” ।
यह दलील दर्शाती है कि ईरान अपनी सैन्य कार्रवाई अभी तक शर्तों से बाँध रहा था, लेकिन अमेरिका और कतर की नियोजित मध्यस्थता ने उसे मान्य किया।
- रणनीतिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
अमेरिकी दृष्टिकोण: ट्रंप ने इसे अपनी नीतिगत सफलता बताया—“हमने अमेरिका की शक्ति दिखाई और शांतिदूत भी बने” । वहीं, प्लेटफॉर्म पर उन्होंने ईरान की ‘नाजुक’ प्रतिक्रिया को सराहा, कहते हुए “कोई अमेरिकी हताहत नहीं हुआ” ।
ईरानी हित: ईरान ने संकेत दिया कि यह हमले सिर्फ प्रतिशोध थे—परंतु उन्होंने संपत्ति को नहीं नष्ट होने दिया, इसका उद्देश्य वैश्विक तेल आपूर्ति भंग न करना था ।
इजराइल–ईरान विवाद: इजराइल ने ईरान की नाभिकीय क्षमताओं पर नियंत्रण के लिए हमले के पक्ष में रहा, जबकि ईरान ने अपना सैन्य सम्मान बनाए रखा। दोनों ने ‘मध्यम स्तर की लड़ाई’ के कोरोना को नियंत्रित किया।
- कतर: मध्यस्थ के रूप में सितारा
कतर को इसके सॉफ्ट पावर और मध्यस्थ कौशल के रूप में व्यापक पहचान मिली है—हमास–इजराइल वार्ता, अमेरिकी–ईरानी क़ैदी एक्सचेंज (2023), और अब इज़राइल–ईरान संघर्ष में कतर की पहल।
विदेश मंत्री/प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद की आधिकारिक भूमिका ने साबित किया कि छोटे देश भी महत्वपुर्ण अंतरराष्ट्रीय आंदोलन को आकार दे सकते हैं, जब वे तटस्थ और विश्वसनीय मध्यस्थ बने रहे ।
- निकट भविष्य की चुनौतियां
सीजफायर की स्थिरता अभी पर प्रश्न है—ईरानी विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह एक प्रक्रिया है, और इजराइल के जवाब पर ही यह कायम होगा। पूर्ण समझौता अभी दूर है ।
सुरक्षा सवाल: अमेरिकी ठिकानों, तेल तथा गिने जा सकने वाले नागरिक हितों को ध्यान में रख, यह लड़ाई जल्द-कहीं खत्म होती नहीं दिख रही।
राजनीतिक धाराएं: ट्रंप ने इसे अपनी विदेश नीति का विजयी उदाहरण बताया—जो अगले अमेरिकी चुनाव चुनाव में एक मुददा हो सकता है ।
12 दिनों के भीतर इजराइल–ईरान का ‘श्रीमुख युद्ध’ अनेक स्तरों पर खतरनाक साबित हो सकता था—कतर के अल उजदिद एयरबेस में मिसाइल हमलों से लेकर ट्रम्प की पहल तक, यह सब वैश्विक स्थिरता के लिए मापक थे।
कतर की निर्णायक भूमिका दर्शाती है कि विश्व नीतियों में छोटे लेकिन संतुलित मध्यस्ता शक्तियों का महत्त्व कितना बढ़ गया है।
ट्रंप द्वारा किया गया बीच का रोल—उसे चाहे पूर्व राष्ट्रपति का चिह्न कहा जाए या नीति की मिसाल, मगर उनके संवादकुशल प्रयास ने समझौता संभव किया।
हालांकि यह शांति अभी अस्थायी हो सकती है, लेकिन इसने एक हिंसक जंग को तबाह नहीं होने दिया—यह भी गठबंधन और रणनीतिक स्थिरीकरण की संभावना पैदा कर सकता है।
अगला प्रश्न: क्या
इस सीजफायर को स्थायी शांति में बदलने की राह आगे चलती है?
और क्या
भारत सहित वैश्विक समुदाय क्या कतर जैसे देशों की लीडरशिप को अनदेखा कर सकता है?