नई दिल्ली / DOHA, 15 सितम्बर 2025 — कतर के प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि इस्राइल द्वारा किए गए “अपराधों” के लिए कार्रवाई हो और वह “दोहरे मानक” (double standards) बंद करें। यह बयान कतर द्वारा अरब और इस्लामिक देशों के आपातकालीन सम्मेलन से पूर्व एक तैयार बैठक में दिया गया, जो उस हमले के जवाब में बुलाया गया है, जिसमें इस्राइल ने दोहा स्थित हमास नेताओं पर वायु हमला किया था।
घटना की पृष्ठभूमि
- हमले में हमास के पांच नेता और एक कतर के सुरक्षा अधिकारी मारे गए थे।
- इस घटना को “राज्य आतंकवाद” बताया गया है, क्योंकि हमला डोहा में बातचीत की भूमिका निभाने वाले कतर की मेजबानी वाले स्थल पर हुआ था और इस्राइल को हमले से पहले वार्ता प्रक्रिया की जानकारी थी।
- अरब और इस्लामिक देशों का सम्मेलन मौजूदा तनाव और हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप बुलाया गया है।
कतर प्रधानमंत्री के तर्क
शेख मोहम्मद ने कहा कि:
- “अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोहरे मापदंड बंद करे” और इस्राइल को अपने किए के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।
- इस युद्ध को “नरसंहार की योजना” कहा गया जिसमें पैलेस्टिनियन लोगों को उनके जमीन से हटाने की कोशिशें हो रही हैं।
- उन्होंने यह भी कहा कि यह मौन और निष्क्रियता इस्राइल को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
विश्लेषण
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो इस घटना और कतर की प्रतिक्रिया से सामने आ रहे हैं:
- राष्ट्रों की भूमिका और विश्व राजनीति
कतर ने मध्यस्थ भूमिका निभाई है, विशेष रूप से इस्राइल-हमास युद्ध में शांति वार्ता की मेजबानी के संबंध में। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब मध्यस्थ देश पर हमला हो, तो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक मान्यताएँ कितनी मज़बूत हैं। - दोहरे मानक (“double standards”) की समस्या
कतर का आरोप यह है कि कुछ देशों ने हिंसा या मानवाधिकार उल्लंघनों पर मूक स्वीकृति दे रखी है जब उन्हें योगदान देना चाहिए था। इस तरह के आरोप अक्सर तब उठते हैं जब राजनीतिक, आर्थिक या सैन्य हितों के कारण वैश्विक प्रतिक्रियाएँ असमान होती हैं। - कानूनी और विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय कानून की बाधाएँ
ऐसे हमले — विशेषकर यदि वे अन्य देश की संप्रभुता का उल्लंघन करते हों, या बातचीत की मेज़बानी कर रहा स्थान हो — अन्तरराष्ट्रीय कानूनी प्रश्न खड़े करते हैं। यह हमला वार्ता प्रक्रिया के हिस्से होने की वजह से विशेष रूप से जटिल है। - भविष्य की संभावना— कूटनीति और दबाव
सम्मेलन में एक मसौदा प्रस्ताव (draft resolution) पेश किया जाएगा, जो इस घटना पर इस्राइल के खिलाफ कार्रवाई का मार्ग तय कर सकता है।
संभव है कि आर्थिक, राजनयिक दबाव, संघर्ष विराम की वार्ता, और संयुक्त देशों के बीच दबाव जैसे उपाय सामने आएँ। - युद्ध और मानवीय संकट
हमले के बाद, गाजा युद्ध की मानवीय हालत एक बार फिर से वैश्विक ध्यान में है। नागरिकों की क्षति, अवैध बमबारी, बुनियादी संसाधनों की कमी आदि मुद्दे सामने हैं, जो इस्राइल के सैन्य कार्रवाईयों की आलोचना का केंद्र बिंदु बन रहे हैं।
संभावित प्रभाव
- यदि सम्मेलन में संयुक्त ठोस प्रस्ताव हों, तो इस्राइल पर दबाव बढ़ सकता है, हालांकि कई देशों के लिए यह राजनीतिक और आर्थिक जुड़ाव के कारण आसान नहीं होगा।
- अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी — क्या वे मध्यस्थों के दावों को सुनेगे और कार्रवाई करेंगे, या मौजूदा समर्थन जारी रखेंगे।
- पैलेस्टिनियन लोगों के लिए यह घटना एक प्रतीक बन सकती है कि उनके संघर्ष को केवल युद्ध नहीं, बल्कि राजनीतिक न्याय की दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए।
- इस तरह के हमले और प्रतिक्रियाएं भविष्य में शांति वार्ताओं की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकते हैं — यदि मध्यस्थ भी लक्ष्य बन सकें, तो सुरक्षा आश्वासन कमजोर महसूस होंगे।
