
रूस के सुदूरवर्ती और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध कामचटका प्रायद्वीप में स्थित क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी में करीब 600 साल बाद पहली बार विस्फोट दर्ज किया गया है। इस ऐतिहासिक और चौंकाने वाले घटनाक्रम ने न सिर्फ वैज्ञानिकों को हैरान किया है, बल्कि इलाके में दहशत का माहौल भी बना दिया है।
रूसी इमरजेंसी मंत्रालय ने रविवार को पुष्टि की कि 2 अगस्त को यह ज्वालामुखी सक्रिय हुआ और उसमें भीषण विस्फोट दर्ज किया गया। इसके साथ ही ज्वालामुखी से 6 हजार मीटर (लगभग 20,000 फीट) तक राख का घना गुबार आसमान में फैल गया। इस विस्फोट के बाद क्षेत्रीय हवाई यातायात को गंभीर खतरा देखते हुए इस पूरे क्षेत्र के एयरस्पेस को बंद कर दिया गया है।
क्या है क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी?
क्रशेनिनिकोव एक 1856 मीटर ऊंचा स्ट्रैटोवोल्केनो (प्रशांत ज्वालामुखीय बेल्ट का हिस्सा) है, जो कामचटका प्रायद्वीप में स्थित है। यह ज्वालामुखी 16वीं सदी के बाद से निष्क्रिय माना जा रहा था। पिछले कई दशकों से यह पूरी तरह शांत था और इसे ‘डॉर्मेंट वोल्केनो’ की श्रेणी में रखा गया था।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह विस्फोट बहुत लंबे समय के बाद आया है, जिससे यह संदेह पैदा हो रहा है कि अन्य निष्क्रिय ज्वालामुखियों में भी संभावित गतिविधियां हो सकती हैं।
राख के गुबार से खतरे की स्थिति
ज्वालामुखी से निकली राख की परत बेहद घनी और ऊंचाई पर फैलने वाली थी, जो विमानों के इंजन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसी कारण से तुरंत प्रभाव से हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया गया, ताकि किसी विमान को नुकसान न पहुंचे। राख हवा में मौजूद रहेगी, इसलिए आसपास के इलाकों में सांस की बीमारियों और जल स्रोतों के दूषित होने का खतरा भी जताया जा रहा है।
स्थानीय लोगों को सतर्क किया गया
हालांकि विस्फोट क्षेत्र में इंसानी बस्ती दूर है, लेकिन फिर भी स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन स्थिति के मद्देनजर निगरानी बढ़ा दी है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे खुले में न जाएं और जरूरी सामान जैसे मास्क, पीने का पानी और प्राथमिक दवाएं तैयार रखें।
कामचटका क्षेत्र में ऐसे करीब 300 ज्वालामुखी मौजूद हैं, जिनमें से करीब 30 सक्रिय माने जाते हैं। इस क्षेत्र को दुनिया के सबसे ज्यादा ज्वालामुखीय रूप से संवेदनशील इलाकों में से एक माना जाता है।
वैज्ञानिकों की नजर में यह विस्फोट क्यों महत्वपूर्ण है?
ज्वालामुखीय अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि 600 साल बाद किसी ज्वालामुखी का सक्रिय होना संकेत है कि पृथ्वी के भीतर कई भूगर्भीय प्रक्रियाएं चल रही हैं, जिनके बारे में हमें और जानकारी इकट्ठा करनी होगी। यह विस्फोट यह भी दिखाता है कि निष्क्रिय माने जा रहे ज्वालामुखी भी भविष्य में खतरनाक हो सकते हैं।
रूसी भूगर्भ वैज्ञानिकों की एक टीम मौके पर पहुंच चुकी है और लगातार ज्वालामुखी की गतिविधियों पर निगरानी रख रही है।
क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी का यह विस्फोट केवल रूस ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ज्वालामुखीय चेतावनी तंत्र को लेकर एक चेतावनी है। यह घटना दिखाती है कि प्राकृतिक आपदाएं कभी भी, कहीं भी, और बिना पूर्व सूचना के आ सकती हैं। ऐसे में पर्यावरणीय निगरानी और आपातकालीन तैयारियों को और मजबूत किए जाने की आवश्यकता है।
इस अप्रत्याशित घटनाक्रम पर वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय की भी नजरें टिकी हैं।