कृपया इस कहानी को किसी बॉलीवुड फिल्म की स्क्रिप्ट समझने की भूल न करें—यह हकीकत है, और उतनी ही फिल्मी भी। लेकिन फर्क इतना है कि इसमें कोई क्लाइमैक्स सॉन्ग नहीं, सिर्फ लाठियां, नारियल वाला, और एक शानदार ‘कातिलों की पार्टी’ शामिल है।

लखनऊ की गलियों में 10 सालों से घूम रहा था एक संवेदनशील और संस्कारी बेटा—सोनू कश्यप। वजह? किसी फिल्मी हीरो की तरह उसे अपनी मां का अपमान नहीं भूल रहा था, जो एक दशक पहले मनोज नामक नारियल पानी बेचने वाले ने किया था। मनोज ने सोनू की मां को मारा था… और फिर गायब हो गया। बस तभी से सोनू ने कसम खा ली थी—“एक दिन आएगा, और बदला जरूर लूंगा।”
और भाई, वह दिन आ ही गया।
सोनू ने पहले क्लासिक स्टाइल में रीकी की, मनोज की डेली रूटीन जानी, और फिर अपनी ‘एवेंजर्स’ टाइप टीम बनाई—रणजीत, आदिल, सलामू और रहमत अली को जोड़ा। बदले में वादा किया गया: “हत्या के बाद शानदार पार्टी दूंगा!” जी हां, यहां ‘पार्टी विद ए पर्पज़’ थी।
22 मई को जैसे ही मनोज ने दुकान बंद की, इन संवेदनशील नौजवानों ने उस पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया और उसे अधमरा छोड़ गए। मनोज ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
अब आता है असली प्लॉट ट्विस्ट।
पुलिस के पास कोई सुराग नहीं था—बस सीसीटीवी फुटेज और उम्मीद। लेकिन तभी सोनू और उसके दोस्तों ने पार्टी में वो किया जो फिल्मों में हीरो भी नहीं करता—शराब की महफिल जमी, सेल्फियां लीं, और फोटो सोशल मीडिया पर ठेल दिए। और बस, पुलिस ने इनकी मूर्खता पर ताली बजाते हुए सबको पकड़ लिया।
एक फोटो में आरोपी वही नारंगी टी-शर्ट पहने दिखा, जो हत्या वाले दिन CCTV में नजर आई थी।
अब पांचों सलाखों के पीछे हैं—मां के सम्मान का बदला तो मिल गया, पर पार्टी का हैंगओवर शायद उम्रभर रहेगा।
तो अगली बार जब कोई कहे कि “बेटा अपनी मां के लिए कुछ भी कर सकता है,” तो एक बार इस केस की फाइल पढ़ लेना—कहीं वो सोनू जैसा बेटा न निकले, जो बदला लेने से पहले दोस्तों को “पार्टी पैकेज” में शामिल कर ले।
