
अमेरिका में अब राजनीति नहीं होती, मेगा शो होता है — और इस बार स्टेज पर दो सबसे बड़े सितारे हैं: एक पूर्व राष्ट्रपति जो ट्विटर से ज़्यादा ट्रुथ पर भरोसा करता है, और दूसरा रॉकेट उड़ाने वाला कारोबारी जो अब सत्ता की उड़ान भरना चाहता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के हाई-वोल्टेज झगड़े की, जो ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ के नाम पर ‘बिग पॉलिटिकल तमाशा’ बन चुका है।
साहब, एलन मस्क जो कल तक ट्रंप के राष्ट्रपति अभियान में ताली बजा रहे थे, अब कह रहे हैं कि अगर ये खर्चीला बिल पास हुआ तो वे “अमेरिका पार्टी” बना लेंगे — जैसे सरकार चलाना ट्विटर पर पोल चलाने जितना आसान हो। और उधर ट्रंप भी ट्रंप हैं — सीधे धमकी दे डाली कि अगर मस्क इतना ही बोलने लगे हैं, तो क्यों न स्पेसX, टेस्ला, स्टारलिंक जैसी सब्सिडी वाली दुकानों को ताला ही लगा दिया जाए? “बच जाएगा अमेरिका का खजाना!”
‘गो बैक टू साउथ अफ्रीका’ — ट्रंप की विदेशी नीति?
ट्रंप साहब ने तो हद ही कर दी। बोले कि एलन मस्क को “दुनिया में सबसे ज़्यादा सरकारी सब्सिडी मिली है” और अगर सरकार हाथ खींच ले, तो “उन्हें अपने देश यानी साउथ अफ्रीका वापस जाना चाहिए।” वाह, राष्ट्रवाद भी और नस्लीय तंज भी — दो फ्लेवर एक ट्वीट में! शायद ट्रंप भूल गए कि यही मस्क उनके EV विरोधी एजेंडे के बावजूद उन्हें राष्ट्रपति पद पर समर्थन दे रहे थे।
DOGE और PORKY PIG: अमेरिका की नई संसदीय शब्दावली
जब ट्रंप ने DOGE (Department of Government Expenditure) को मस्क की कंपनियों की जांच का सुझाव दिया, तो लगा जैसे क्रिप्टो की दुनिया अब सरकारी ऑडिट में बदल गई हो। वहीं मस्क ने पलटवार किया और अमेरिकी संसद को “Porky Pig Party” कह डाला — हां, वही मोटा कार्टून सूअर, जो बच्चों के शो में उछलता कूदता रहता है। अब देश की सबसे बड़ी आर्थिक नीति की बहस में कार्टून कैरेक्टर घुस चुके हैं, तो समझ लीजिए कि मामला गंभीर है।
मस्क की धमकी: अगली सुबह पार्टी बन जाएगी
एलन मस्क ने एलान कर दिया — “अगर ये पागल खर्च वाला बिल पास हुआ, तो अगली सुबह ‘अमेरिका पार्टी’ बन जाएगी!” मतलब, एक रात में पार्टी बन जाएगी, जैसे रॉकेट लॉन्च होता है। और मस्क की बातों से लग रहा है कि अब वो खुद को जनता की ‘असली आवाज़’ समझने लगे हैं — एक अरबपति, जो कभी सरकार की गोद में बैठा था, अब कह रहा है कि “पुराने उद्योगों को पाल-पोस के भविष्य के उद्योगों को मारा जा रहा है।”
टेस्ला के आँकड़े और ड्रामे की पृष्ठभूमि
टेस्ला अभी भी अमेरिकी EV मार्केट का राजा है, लेकिन हाल के उतार-चढ़ाव और सब्सिडी की कटौती ने मस्क को हिला दिया है। कंपनी का वैल्यूएशन अभी भी 1 ट्रिलियन डॉलर पार कर चुका है — लेकिन एलन साहब को इस वक्त ‘राजनीतिक निवेश’ ज़्यादा ज़रूरी लग रहा है।
राजनीति या पब्लिसिटी स्टंट?
असल सवाल यह है: क्या ये लड़ाई सच में सरकारी खर्च और सब्सिडी को लेकर है? या यह दो बड़े अहंकारों की मुठभेड़ है, जो एक दूसरे की पीठ थपथपाकर आगे बढ़े थे, और अब तलवारें खींच ली हैं?
ट्रंप को डर है कि कोई और उनसे बड़ा ‘attention magnet’ बन रहा है, और मस्क को डर है कि बिना सब्सिडी के उनके EV प्लान की बैटरी बैठ जाएगी। ऐसे में जनता के मुद्दे तो ड्रामा के पर्दे के पीछे ही रह गए।
तो क्या अब हर अमीर आदमी एक पार्टी बनाएगा?
क्या अब राजनीति का मतलब है: जब नाराज़ हो जाओ, नई पार्टी बना लो? क्या एलन मस्क ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तर्ज पर ‘अमेरिका जोड़ो स्पेसमिशन’ शुरू करने वाले हैं?
अंत में एक सवाल:
क्या ये लड़ाई अमेरिकी लोकतंत्र के हित में है, या यह महज़ दो ‘ब्रांड्स’ का पब्लिक स्पार्क है? और अगर अरबपति अब पार्टियों के मालिक बन गए हैं, तो क्या लोकतंत्र अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बन चुका है?
क्योंकि जब नेता ट्वीट्स में लड़ें और जनता बिजली के बिल से, तब असली खतरा केवल खर्च नहीं, लोकतंत्र की दिशा है।