
🔹 सोशल मीडिया पर पूर्व सीएम ने उठाया बड़ा मुद्दा
पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक फेसबुक हैंडल के माध्यम से एक गंभीर मुद्दे पर सरकार को घेरा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नजरअंदाज कर रही है और उन्हें “वैकल्पिक सेवानिवृत्ति” (Optional Retirement) लेने पर मजबूर कर रही है। यह आरोप न केवल राजनीतिक है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है।
🔹 वरिष्ठता सूची का हो रहा अपमान
अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है कि जब सरकार को वरिष्ठता (Seniority) का कोई महत्व नहीं देना, तो फिर ‘सीनियरिटी ऑर्डर लिस्ट’ बनाने की जरूरत ही क्या है? उन्होंने स्पष्ट किया कि एक या दो रैंक की अदला-बदली यदि काम की गुणवत्ता के आधार पर की जाए तो वह समझ में आती है, लेकिन जब 10-12 रैंक नीचे के अधिकारियों को तरजीह दी जाती है, तो यह सीधे-सीधे निजी पसंद, वैचारिक झुकाव या सत्ता के समीकरण की ओर इशारा करता है।
🔹 अफसरों का मनोबल टूटना चिंताजनक
इस तरह की नियुक्तियों से न केवल योग्य और ईमानदार अधिकारियों का मनोबल टूटता है, बल्कि इससे पूरे प्रशासन में एक नकारात्मक माहौल बनता है। अखिलेश यादव का मानना है कि कानून-व्यवस्था को संभालने वाले अधिकारियों को अपमानित करके सरकार खुद अपने ही सिस्टम को कमजोर कर रही है।
उन्होंने हाल की कुछ घटनाओं का हवाला दिया जिसमें अधिकारियों को उनके विभाग में ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी अपमानित किया गया। यह परंपरा यदि बंद नहीं की गई, तो प्रशासन में अनुशासन और निष्पक्षता का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
🔹 ईमानदारी का सम्मान ज़रूरी
अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ईमानदार अफसरों को इनाम नहीं दे सकती, तो कम से कम उन्हें अपमानित न करे। किसी भी अधिकारी की नियुक्ति का आधार उसकी योग्यता, अनुभव और कार्यकुशलता होना चाहिए — न कि कोई राजनीतिक पक्षपात।
🔹 निष्कर्ष: सियासत से दूर रखी जाए अफसरशाही
इस पूरे मामले को देखकर साफ होता है कि सरकारी तंत्र में सियासी दखल बढ़ता जा रहा है, जिससे न केवल शासन व्यवस्था कमजोर हो रही है, बल्कि जनता का भरोसा भी टूट रहा है। यह पोस्ट सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि उस असंतोष की आवाज है, जो आज सैकड़ों ईमानदार अफसरों के मन में है।
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यह पोस्ट अखिलेश यादव द्वारा उनके फेसबुक सोशल मीडिया हैंडल से साझा की गई है, जो अब प्रदेश की राजनीति में बहस का विषय बन चुकी है।
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