September 1, 2025
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वैश्विक प्रवृत्ति: करोड़पति पलायन क्यों बढ़ रहा है?

हालिया अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों से सामने आया है कि 2025 में दुनिया भर में 142,000 करोड़पति अपने देश छोड़ कर जा सकते हैं। जिसमें भारत के लगभग 3,500 करोड़पति शामिल हैं—करीब $26 बिलियन (₹2.2 लाख करोड़+) के साथ जा रहे हैं।

रिपोर्ट बताती है कि यह मैनेगेरिया भारत का शीर्ष पाँच का आंकड़ा रहा है—2022 में 7,500, 2023 में 5,100, और 2024 में 4,300 करोड़पति पलायन कर चुके हैं ।


क्यों जा रहे हैं लोग — 8 बड़े कारण

1. बेहतर जीवन-स्तर व सार्वजनिक सुविधाएं

22% उच्च आबादी वाले अधिशेष (UHNI) बेहतर जीवन स्तर और स्वास्थ्य/शिक्षा सेवाओं की आशा में बाहर की ओर देख रहे हैं।

2. व्यापार और इन्वेस्टमेंट की आसान व्यवस्था

दूसरे देश, विशेषकर यूएई, यूएसए, सिंगापुर में “Golden Visa” की योजनाओं, कारोबार की सुगमता और कम टैक्स—सभी कारण बन रहे हैं।

3. कर संरचना व वित्तीय नियमन

उच्च टैक्स, भिन्न-भिन्न टैक्स अधिकारियों की जटिलता (income tax, GST, capital gains) से लोग परेशान हैं।

4. संपत्ति सुरक्षा व सरकारी जांच

पेचिदा आय-कर जांच और एग्जिट कंट्रोल जैसे मामलों से मुक्ति पाए बिना करोड़पति विदेश की तरफ बढ़ते हैं।

5. बच्चों की शिक्षा व सुरक्षित भविष्य

विदेशी शिक्षा, अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता और समग्र वातावरण उन्हें आकर्षित कर रहा है।

6. सुरक्षा व कानून व्यवस्था की चिंता

शहरों में ट्रैफ़िक, प्रदूषण, बुनियादी ढांचे की कमी और बढ़ती आपराधिक घटनाएँ भी कारण हैं।

7. जलवायु परिवर्तन व जीवन प्रत्याशा

प्राकृतिक आपदाओं से बचाव, बेहतर स्वास्थ्य प्रणालियों की उपलब्धता और लम्बी उम्र की चाह भी पीछे का कारण है।

8. वैश्विक आर्थिक विविधीकरण की रणनीति

कई करोड़पति “Global Citizen” बनना चाहते हैं — आय, संपत्ति, परिवार और बिजनेस को अलग-अलग देशों में फैलाना चाहते हैं|


📊 क्या यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है?

रिपोर्ट कहती है—भारत हर वर्ष 30,000 नए करोड़पति पैदा कर रहा है, जबकि निकल रहे की संख्या 4,300 है—तो यह कुल मिलाकर नुकसान का कारण नहीं बन रहा ।

पर हकीकत में यह संकेत है कि इतने उच्च नेट-वर्थ वाले लोग देश छोड़ना चाहते हैं, जो सत्ता, सुविधाओं और भविष्य की योजनाओं पर बड़ा मैसेज है।


प्रभाव परिदृश्य:

🇮🇳 घरेलू असर:

  • रियल एस्टेट: अचानक निर्यात या क्रय कमी से स्थिरता घट सकती है, जैसा मुंबई NRI निवेश से होता रहा।
  • बिजनेस क्लाइमेट: बड़े उद्योगपति देश छोड़ दें, तो नौकरियाँ, फंडिंग और रोजगार प्रभावित हो सकते हैं।
  • टैक्स संग्रह: हालांकि ये लोग टैक्स टैरीफ़ की सीमा से बाहर हैं, लेकिन पूंजीगत खर्चों में कमी आने पर टियर स्तर भी प्रभावित हो सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण:

  • यह भारत के प्रति निवेशकों का विश्वास संकट दर्शाता है।
  • वहीं दूसरे देशों—यूएई (zero tax), यूएस, कनाडा, सिंगापुर—का आकर्षण मजबूती से बढ़ रहा है ।

भारत को संभालने की चुनौती

नीति में सुधार:

  • “Golden Visa” जैसा विकल्प भारत में क्यों नहीं?
  • टैक्स प्रशासन को सरल, पारदर्शी और ऑनलाइन बनाने की आवश्यकता है।

सुविधाओं का इन्फ्रास्ट्रक्चर:

  • आवास, स्वास्थ्य सेवाएँ, बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार करें।
  • प्रदूषण, ट्रैफ़िक वड़, कानून—सभी में सुधार हो।

व्यवसाय और निवेश:

  • स्टार्टअप्स, ग्लोबल इन्वेस्टमेंट, स्वतंत्र पूंजी मार्ग प्रदान करें।
  • ऊँचे नेट वर्थ वाले लोगों के लिए निजी फंड संरचना और पारदर्शी रेगुलेटरी ढांचे बनाना जरूरी है ।

क्या यह सच में ‘धन पलायन’ है?

ध्यान देने वाली बात है कि भारत के करोड़पति जब जा रहे हैं, तो ज्यादातर संपत्ति और निवेश भारत में ही रखते हैं

यह केवल स्थानांतर नहीं, बल्कि सक्षमता और वैश्विक रणनीति का संकेत हो सकता है।


एक भारतीय चेतावनी

धन का बहाव प्रतीक है — सिर्फ पैसे नहीं, बल्कि भरोसा, सुरक्षा, सरल प्रशासन और भविष्य की आशा का बहाव भी है।

यदि देश की सरकार रचनात्मक बदलाव, सुचारू नीति और लोक-भरोसे वाली पारदर्शिता पर काम करेगी, तो यह बहाव भी पीछे मुड़ेगा।

आखिरी सवाल हम से: क्या हम दयनीय व्यवस्था की चादर तौलने के बाद यह सोचे कि इतने करोड़पति क्यों पलायन कर रहे हैं?

क्या हम देश को आकर्षक बसावट, अवसर और भविष्य के रूप में फिर से खड़ा कर पाएंगे?

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