
तेज न्यायिक कार्यवाही के तहत कोर्ट ने सुनाया फैसला, हर दोषी पर ₹29,500 का जुर्माना भी लगाया गया
वाराणसी:
शहर के जयप्रकाश नगर क्षेत्र में वर्ष 2022 में भाजपा नेता पाशुपतिनाथ सिंह की हत्या के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट-1 (FTC-I) के न्यायाधीश कुलदीप सिंह ने शुक्रवार को 16 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने सभी दोषियों पर ₹29,500 का जुर्माना भी लगाया।
इन 16 दोषियों में विकास भारद्वाज, मन्टू सरोज, राहुल सरोज, मनीष पांडेय, गणेश सरोज, अभिषेक सरोज, अनुप सरोज, सूरज यादव, अनुज उर्फ बाबू सरोज, श्याम बाबू राजभर, विशाल राजभर, सुरेश सरोज, आर्य उर्फ आकाश सरोज (सभी चंदुआ चित्तूपुर से), दिनेश पाल और उनके भाई रमेश पाल (इंद्रपुरी कॉलोनी, शिवपुरवा से), और संदीप कुमार गुप्ता (कुम्हारपुरा फूलवरिया से) शामिल हैं। यह जानकारी एडीजीसी (क्रिमिनल) मनोज गुप्ता ने दी।
ऐसे दिया गया हत्या को अंजाम
12 अक्टूबर 2022 की शाम को, मन्टू सरोज और राहुल सरोज अपने दो साथियों के साथ राजकुमार सिंह के घर के बाहर शराब पीकर हंगामा कर रहे थे। जब राजकुमार ने उन्हें टोका, तो उन्होंने धमकी देकर घर छोड़ दिया। कुछ देर बाद वे 16 अन्य साथियों के साथ लाठी-डंडों से लैस होकर लौटे और हमला बोल दिया।
राजकुमार पर हमला होते देख उनके पिता, भाजपा नेता पाशुपतिनाथ सिंह, मौके पर पहुंचे। हमलावरों ने उनके सिर पर वार किया जिससे वे बेहोश होकर गिर पड़े। घायल पिता-पुत्र को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने पाशुपतिनाथ सिंह को मृत घोषित कर दिया।
चार्जशीट, ट्रायल और सज़ा
पाशुपति के बड़े बेटे रूद्रेश सिंह ने 13 अक्टूबर को सिगरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की, जिनमें से दो को नाबालिग घोषित कर उनका केस किशोर न्यायालय में भेजा गया। शेष 16 आरोपियों पर मुकदमा चला, जिसमें अभियोजन पक्ष ने आठ गवाह पेश किए।
गुरुवार को कोर्ट ने सभी 16 को दोषी करार दिया और शुक्रवार को उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
‘307 गैंग’ का खौफ और स्थानीय चिंता
दोषियों में से कई चंदुआ चित्तूपुर, शिवपुरवा और जयप्रकाश नगर क्षेत्रों में ‘307 गैंग’ नामक गिरोह से जुड़े थे, जो इन इलाकों में दहशत फैलाता था। इस गिरोह के कई सदस्यों ने अपने हाथों पर ‘307’ का टैटू भी बनवा रखा था।
हालांकि कोर्ट के फैसले से रूद्रेश सिंह संतुष्ट हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जिस शराब दुकान के पास यह घटना शुरू हुई थी, वह आज भी उसी स्थान पर है और स्थानीय लोग अब भी उस असुविधा और तनाव को झेलने को मजबूर हैं।