June 17, 2025
2025-06-15 (4)

— शॉर्ट सर्किट से सुलगा आग का तांडव, बचाव के सारे रास्ते हुए बंद

लखनऊ/मोहनलालगंज:
किसी ने नहीं सोचा था कि दिल्ली जाने वाली ये बस सीधे यमराज से मिलने का टिकट बन जाएगी। बृहस्पतिवार तड़के करीब 5 बजे लखनऊ के बाहरी इलाके किसान पथ पर एक चलती प्राइवेट बस में भीषण आग लग गई, जिसमें दो मासूम बच्चों समेत पांच यात्रियों की मौके पर ही जलकर मौत हो गई।

बस में कुल 80 यात्री सवार थे, जिनमें से अधिकतर नींद में थे — लेकिन आग ने ऐसा कहर बरपाया कि कुछ को जागने का मौका भी नहीं मिला।


शॉर्ट सर्किट से सुलगी मौत की चिंगारी

एसीपी (मोहनलालगंज) रजनीश वर्मा ने जानकारी दी कि यह बस बिहार के बेगूसराय से दिल्ली जा रही थी। “प्राथमिक जांच में ऐसा लगता है कि बस के गियरबॉक्स में शॉर्ट सर्किट हुआ जिससे आग लगी,” उन्होंने बताया।

जैसे ही आग ने बस को अपनी चपेट में लिया, चीख-पुकार मच गई। लेकिन अफ़सोस, पांच लोग – दो महिलाएं, दो बच्चे और एक युवक – बच नहीं सके। बाकी कई घायल यात्रियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


आपात दरवाज़ा बना शोपीस

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस आग लगने के बाद भी कुछ समय तक चलती रही। शायद ड्राइवर को यक़ीन नहीं था या ब्रेक भी धोखा दे गया। आग की लपटें दूर से ही दिखाई दे रही थीं। फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और आधे घंटे में आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक बस की सिर्फ धातु की ढांचा ही बचा था।

पुलिस ने जांच में पाया कि आपातकालीन निकासी द्वार (Emergency Exit) खुला ही नहीं — जिससे पीछे बैठे यात्री अंदर ही फंसकर रह गए।


जानिए कौन थे वो जो अब नहीं रहे:

  • लक्ष्मी देवी (55)
  • सोनी महतो (26)
  • देवराज (3 वर्ष)
  • साक्षी (2 वर्ष)
  • मधुसूदन (21)

इन नामों के साथ जलकर खत्म हो गई कई ज़िंदगियों की कहानियां — जो बस ‘दिल्ली’ पहुंचना चाहते थे, लेकिन मौत का टिकट मिल गया।


सीएम ने जताया शोक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर शोक जताया और जिला प्रशासन को तुरंत राहत कार्य में जुटने और घायलों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री कार्यालय ने X (पूर्व ट्विटर) पर इसकी जानकारी साझा की।


जिम्मेदार कौन?
एक बार फिर सवाल वही — क्या रोडवेज और प्राइवेट ऑपरेटर के वाहनों में सुरक्षा सिर्फ नाम की होती है? आपात द्वार का न खुलना, शॉर्ट सर्किट जैसी लापरवाहियाँ, और एक पूरी बस में झुलसती ज़िंदगियाँ — क्या ये सिर्फ ‘दुर्घटना’ कहलाएगी?

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