June 17, 2025
Hand of electrician working on a circuit breaker panel with colorful wires, ensuring safe electrical connections.

— मोदी-योगी राज में ‘सबका साथ, सबका विकास’ अब ‘सबका बिल, सबका विनाश’ की ओर

लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की जनता के अच्छे दिन अब मीटर की रीडिंग में दिख रहे हैं — और वो भी 40 से 45 फीसदी की दर से! जी हां, प्रदेश सरकार के पावर कार्पोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में बिजली की दरों में भारी बढ़ोतरी का संशोधित प्रस्ताव दाखिल कर दिया है।

गांवों में 45 फीसदी, शहरों में 40 फीसदी और नया कनेक्शन? वो तो अब 30 फीसदी महंगा। यानी अब “रोशनी घर लाओ” नहीं, “बिल भरते रह जाओ” वाला युग आ चुका है।

अब गांववालों को ‘विकास’ की करंट लगेगी

सरकार की नजर में गांव वाले अब आत्मनिर्भर नहीं, बिजली निर्भर हो गए हैं। इसीलिए उनके लिए सबसे ज़्यादा 45% का हाई-वोल्टेज झटका तय किया गया है। शहरी उपभोक्ता थोड़ा सस्ता झुलसेंगे, उनके लिए सिर्फ 40% की छूट है — बढ़ोतरी में!

और हां, नया कनेक्शन?

अगर आपको लगता है कि आप नया घर बनवाकर उसमें बिजली का उजाला लाना चाहते हैं, तो तैयार रहिए — अब उजाला भी EMI पर आएगा। नया कनेक्शन लेने पर 30% ज्यादा खर्च आएगा और ऊपर से खंभे, वायर, पोल सबके नाम पर ‘सप्लीमेंट्री टैक्स’ भी अलग से।

‘गुपचुप’ चालें और जनता की जेब में सुराख

पावर कार्पोरेशन ने न केवल दरें बढ़ाने का प्रस्ताव डाला, बल्कि निजीकरण की चाल भी चालाकी से चली। गुपचुप तरीके से निजीकरण मसौदे पर सलाह मांगने की अर्ज़ी भी आयोग को दे डाली। यानी, पहले जनता से ज़्यादा वसूली और फिर बिज़नेस को बेच दो — “कमाई हमारी, परेशानियां तुम्हारी!”

‘307 गैंग’ की तर्ज पर ‘बिजली बिल गैंग’?

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इस पूरी कवायद को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रक्रिया में सार्वजनिक सुनवाई की तारीख (7 जुलाई) तय हो चुकी है, उसमें इस तरह का नया संशोधित प्रस्ताव देना कानून का मजाक उड़ाना है। “लगता है आयोग अब पावर कॉर्पोरेशन का ग्राहक सेवा केंद्र बन चुका है”, उन्होंने व्यंग्य में कहा।

नोएडा मॉडल नहीं, ‘नोटबंदी मॉडल’ लागू?

परिषद का कहना है कि जब जनता का ₹33,122 करोड़ का सरप्लस बिजली कंपनियों पर बाकी है, तो उसे वापस करने की जगह जनता की जेब में हाथ डाला जा रहा है। मांग है कि जैसे नोएडा पावर कंपनी ने दरें घटाकर उपभोक्ताओं का पैसा लौटाया था, वैसे ही बाकी प्रदेश में क्यों नहीं?

क्या कह रहे हैं जिम्मेदार?

नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार का बयान तो मानो ‘कोर्टसी कॉल’ जैसा ही है — “सुनवाई होगी, वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा, नियमों का पालन हुआ है।” यानी ‘बिजली भी हमारी, नियम भी हमारे, झटका भी आपका!’


सारांश:

👉 ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता: 45% तक बढ़ोतरी
👉 शहरी घरेलू उपभोक्ता: 40% तक बढ़ोतरी
👉 कॉमर्शियल यूजर्स: 25% तक बढ़ोतरी
👉 नया कनेक्शन: 30% तक महंगा


अब सवाल जनता का:

  • क्या यूपी में विकास का मतलब अब सिर्फ ‘दर बढ़ाना’ रह गया है?
  • क्या ये सबकुछ इसलिए किया जा रहा है ताकि ‘अपने लोगों’ को बिजली कंपनियों का मालिक बनाया जा सके?
  • और सबसे जरूरी, क्या यही है अच्छे दिन का असली स्वरूप?

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